5 TIPS ABOUT कैसे आत्मविश्वास बढ़ाएं YOU CAN USE TODAY

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शिष्य द्वारा इस सवाल के किये जाने पर गुरूजी निराश हो गए और दुखी मन से शिष्य को कहा – शिष्य, मुझे तुमसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, तुम्हें मेरे साथ रहते हुए बहुत समय हो गया है, परन्तु अभी भी तुम ज्ञान की पहली सीढ़ी ही नहीं चढ़ पाए हो, अभी भी वहीँ पर अटके हुए हो। 

वह बार-बार सोचता कि नीचे कूद जाऊ और अपने दोस्तों से जा मिलु परन्तु उसे पेंड का मोह अपनी ओर खींचने लगता, आम रोजाना इसी सोंच में डूबा रहता।

फिर वे डीन के पास गए और कहा कि वे कल रात एक शादी में गए थे और रास्ते में उनकी कार का टायर फट गया और उन्हें कार को पीछे की तरफ धकेलना पड़ा। इसलिए वे परीक्षण लेने के लिए किसी भी हालत में नहीं थे।

महर्षि ने उस व्यक्ति की ओर देखा और हल्की मुस्कान उनके चेहरे पर उभरी मानों वे अपने दिव्य चछुओं से व्यक्ति की सारी हरकतों को देख रहे थे।

.?" शास्त्री जी की यह सादगी और दिखावे से परे का व्यक्तित्व हर व्यक्ति के लिए बहुत प्रेरक प्रसंग माना जाएगा।

वे मुस्कुराते हुए व्यक्ति से पूछे तुम वही व्यक्ति हो जिसने कल के सत्संग में बड़ा काम करने और बड़ा बनने के आह्वान पर अपनी स्वीकृति जताई थी। 

व्यक्ति गुस्से से झल्लाया, बोला – दिखाई नहीं देता क्या, मेरे कपडे नए है। अब तुम्हारें चक्कर में इसे खीचड़ से ख़राब करूँ क्या। इतना बेवकूफ समझा है मुझे, मुझे बड़ा काम करना है, बड़ा आदमी बनना है, इतना कहते हुए व्यक्ति अपनी राह चला। 

तेनालीराम और सोने के आम – तेनालीराम की कहानी

एक समय की बात है, गुरूजी अपने शिष्यों को read more ज्ञान की बातें बता रहे थे, और उनकी समस्याओं और प्रश्नो का जवाब (हल) भी दे रहें थे। जब लगा की शिष्यों की शिक्षा पूरी हो गयी तब गुरूजी ने सभी शिष्यों से कहां – शिष्यों अगर आप के मन में अभी भी कोई शंका या प्रश्न हो तो मुझसे पूछ सकते हो। 

लेकिन अगर वही कोई उनके टक्कर का आदमी होता तो वे उसके साथ ऐसा करने से पहले कई बार सोचते. इसलिए हमें कभी भी किसी गरीब या लाचार आदमी से लड़ना नहीं चाहिए.

थोड़ी ही दूर चला था की उसे एक अंधी बुढ़िया दिखाई दी, व्यक्ति की आहाट पाकर अंधी बुढ़िया ने उससे मदद की गुहार लगाई और दयनीय स्वर में बोली, अरे भाई क्या तुम मुझे सड़क की दूसरी ओर एक झोपडी है वहां तक पंहुचा दोगे, आपकी बहुत मेहरबानी होगी।

अच्छी बात है, कुछ देर बैठो, मुझे एक व्यक्ति की ओर प्रतीक्षा है। उसने भी सत्संग के विसर्जन के बाद इसी प्रकार की इक्षा जताई थी, जो तुमने जताई है। परन्तु उसे अभी तक तो आ जाना चाहिए था, उसे भी मैने यही समय बताया था। (

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